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Muharram Shayari In Hindi – बेस्ट 101 + मुहर्रम पर शायरी

Muharram Shayari In Hindi – बेस्ट 101 + मुहर्रम पर शायरी –  मुहर्रम का त्योहार इस्लामिक धर्म में सेलिब्रेट किया जाता है। यह दिन
शहीदों की याद में मनाया जाता है। कुछ इस्लामिक किवदंतियों के अनुसार
मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महिना है। इस्लामिक मान्यतों के अनुसार
मुहर्रम मनाने का कारण यह हैं कि इस दिन हजरत रसूल के नवासे हजरत इमाम
हुसैन अपने परिवार और 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे। इमाम हुसैन ने अपनी
शहीदी कर्बला के मैदान में दी थी। मुहर्रम ज़िंदादिली और शहीदी के मायने
समझाता है। इस पर्व में मुहर्रम महीने के 10 वें दिन को ‘आशुरा’ कहा जाता
है। कई लोग मुहर्रम को अल्लाह का महीना भी मानते हैं। इस खास मौके पर आप भी
इमाम हुसैन की शहादत को याद करें और अपने जानने वालों के साथ मुहर्रम
शायरी (Muharram Shayari in Hindi), इमाम हुसैन शायरी (Imam Hussain
Shayari in Hindi
), और कर्बला की शायरी हिंदी में (Karbala Shayari in
Hindi)
और मुहर्रम कोट्स और स्टेटस शेयर करें।

इमाम हुसैन अल्लाह के रसूल यानी मैसेंजर और पैगंबर मोहम्मद के नाती माने जाते थे। ज्यादातर शिया मुस्लिम समाज के लोग इस दिन इमाम की शहादत का शोक मनाते हैं। इस मौके पर आप भी अपने सभी जाने वालों, नाते रिश्तेदारों से शहादत का दिन और मोहर्रम शायरी (Muharram Shayari in Hindi) साझा करें। मुहर्रम कोई त्योहार नहीं बल्कि मातम का दिन है। मुहर्रम एक ऐसा महीना है, जिसे मुस्लिम समाज के लोग इमाम हुसैन की शहादत के गम में मनाते हैं। मुहर्रम के दिन इमाम हुसैन और उसके भाई हसन का ताजिया निकाल कर शोक मनाया जाता है, ये दिन मुहर्रम महीने का 10वां दिन होता है।

Muharram Shayari In Hindi – बेस्ट 101 + मुहर्रम पर शायरी

Muharram Shayari In Hindi - बेस्ट 101 + मुहर्रम पर शायरी

 

यह हिजरी संवत का पहला महीना है जिसे इस्लामिक नया साल भी कहते हैं। यह दिन मुहर्रम महीने का 10वां दिन होता है। मुहर्रम की तारीख हर साल बदलती रहती है क्योंकि इस्लाम का कैलेंडर एक लूनर कैलेंडर होता है। मुहर्रम माह से ही इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत होती है। मुहर्रम शायरी 2023, मुहर्रम पर शायरी, मुहर्रम शायरी इन हिंदी, अशुरा मुहर्रम और शायरी, सुन्नी मुस्लिम शायरी, इमाम हुसैन शायरी, मुहर्रम कविता और सन्देश, मुहरम शेर-ओ-शायरी, कर्बला शायरी, ताजिया शायरी हिंदी में, या हुसैन शायरी, मुहराम की शायरी, मुहर्रम दुःखद भरी शायरी, हुसैनी शायरी।

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मुहर्रम एक ऐसा इस्लामिक त्यौहार है जिसे मातम के रूप में मनाया जाता है,
और लोग विभिन्न तरीकों से अपना दुःख व्यक्त करते हैं। भारत में एक बहुत
बड़ा हिन्दू वर्ग भी इस त्यौहार को मनाता है। पूरे दिन लोग उपवास करते हैं,
जिसमें पानी तक नहीं पीते हैं। मुहर्रम में ताजिया हजरत इमाम हुसैन की याद
में बनाया जाता है और बड़े-बड़े जुलूस निकाले जाते हैं। बहुत जगह मुस्लिम
समुदाय के लोग इस दिन अपने शरीर को कष्ट देकर मातम मनाते हैं।

 Muharram Shayari In Hindi

Muharram Shayari In Hindi

 

आज़ाद रूह उठी है इस मुहर्रम के दिन,
अब्बास की तलवार से चमका इमाम का दमन।

हर तरफ़ यादें हैं क़ुर्बानी की,
दर्द और ग़म से गहरी है ये कहानी की।

आज फ़िर से याद करते हैं हम,
हुसैन की शान पे ज़माना भर रोया।

ख़्वाबों में उठती है शहदात की धूप,
मुहर्रम के दिन याद आता है इमाम हुसैन का याराब।

ताज़ा है यादें आज भी वो जब,
क़सीम का सजदा था ज़िंदगी का अरमान।

चली जाएँगी चर्चा क़यामत तक उनकी,
बला से भरी रहेगी जन्नत की ज़मीन।

जिनकी मिसाल ना कोई थी ना होगी,
हुसैन के मुहर्रम की वोह सदी भर रोएंगे।

अल्लाह की इबादत है मुहर्रम का महीना,
उनके प्यारे हुसैन का था ये क़रबानी का सीना।

उठ जाते हैं बेताब नब्ज़े अशुरा के दिन,
रूठ जाते हैं ख़ुदा से हुसैन के दिलबर साथिया।

ज़माना भूल जाए हर एक रिवाज़ को,
इमाम हुसैन के लिए बस एक दुआ करें।

इमाम हुसैन की तलवार की चमक देखकर,
उठ उठ खड़े हो जाएं इन्सान हर ज़माने में।

आज़माएंगे हम भी उनकी मोहब्बत,
जब बात होगी तक़दीर की दरबार में।

मुहर्रम शायरी हिंदी में

मुहर्रम शायरी हिंदी में

 

इमाम के दम से ज़मीन पे आए थे फूल,
जिस रिश्ते को दौलत-ए-हुसैन कहें हम।

जन्नत की ख़्वाहिश में कटी थी ज़िंदगी,
इमाम हुसैन के नाम से जुदा न रही ज़मीन।

बला से ख़ुद को बचाने को तैयार,
ख़ुदा की राह में खड़े हुसैन के साथिया।

वो दर्द भरी दास्ताँ है जिसका अंजाम है,
मोहर्रम के महीने की बस यही एक कहानी।

जिसके लिए लुटा दी जाती है ज़िंदगी,
वो इमाम हुसैन का प्यारा याराब है।

ताज़ा कर देते हैं फ़िर से रुहें हम,
इमाम हुसैन की तलवार की चमक से।

दिल में उतर जाएगा दर्द की आंधियों को,
जब याद आएगा हुसैन का वाक़िआ।

आज़ादी के जज़्बे से जलता है ये आलम,
मुहर्रम के दिनों में हो जाए ग़म कम।

Muharram Shayari Status

Muharram Shayari Status

 

इमाम हुसैन के लब पे दुआ है ये दिल,
ख़ुशियां बरसाएं हर ग़म के पल।

कर्बला की धरती पे चलते हैं आशिक़,
हुसैन के इश्क़ में जलते हैं दिल।

शहीदों के लहू से सजता है ये आसमान,
मुहर्रम की याद में रहता है इमान।

रुख्सत हुआ ज़िन्दगी से इमाम हुसैन,
दिल रोता है उसके दर्द की दास्तान।

आलम बदल गया रंग मुहर्रम का,
हर ज़ुल्म भुला देता है ये वक़्त।

आशुरा के दिन याद आती है वो घड़ी,
जब कर्बला की धरती थी रिश्तों से भरी।

दर्द-ओ-ग़म का मौसम है मुहर्रम,
हर दिल में बस जाए ये इमाम।

बदल गई दुनिया इमाम हुसैन के बाद,
ज़िन्दगी को मिली सिख देती है ये मुहर्रम की सबक।

कर्बला की सड़कों पे चलता है ये दिल,
ऐ इमाम हुसैन तेरी याद में रहता है बस ज़िंदगी का मक़सद।

हुसैन जिंदाबाद शायरी Hindi

हुसैन जिंदाबाद शायरी Hindi

 

वफ़ादारी की मिसाल देते हैं कर्बला के शौहदा,
ज़िंदगी का सफ़र बनाते हैं इमाम हुसैन के इश्क़ में।

ज़ुल्म के खिलाफ़ खड़ा हुआ था वो दिन,
मुहर्रम ने सिखाया है इंसानियत का अर्थव्यवस्था में।

आज़ादी के लिए लड़ा वो इमाम हुसैन,
उनकी क़ुर्बानी ने बदल दी थी ताक़तों की दास्तान।

मोहब्बत बदल दे ज़िंदगी की तस्वीर,
हुसैन की याद में धड़कता है ये दिल हर पल।

उनके सजदे में मिलती है ज़िंदगी की राहत,
मुहर्रम के दिन भव्य हो जाएं हर ज़िन्दगी के सफ़र।

कर्बला की सड़कों पे चलता है दर्द भरा इम्तिहान,
हुसैन की शान से रौनक़ मिलती है ये ज़िंदगी को इंसान।

चलते हैं आज़ाद इमाम हुसैन के रास्ते,
मुहर्रम के दिन जुड़ जाते हैं ज़िन्दगी के सब रिश्ते।

हुसैन की याद में झूम उठते हैं दिल,
मुहर्रम के दिन बदल जाएं ये सब ज़िंदगी के खेल।

दर्द और ग़म का मौसम आया है फिर से,
हुसैन की याद में जल उठें ये दिल कैसे भूलें इसे।

आज़ादी के लिए लड़े थे हुसैन,
ख़त्म हो गई थी उनकी दिवानी तमन्ना।
मुहर्रम के दिन याद करते हैं हम,
उन्हें बिछड़ने की जो थी जुदाई की कहानी।

रुठने न देना कभी दोस्ती को करीब से,
वफ़ादार दिल से जुदा नहीं होते।
मुहर्रम के दिन ज़िन्दगी को याद करते हैं,
हुसैन के बलिदान को सबको सिखाते हैं।

बेइंतहा था उनका इश्क़ और यारी,
करबला में जो दिया था विश्वास का सबूत।
उनकी शान थी मुहर्रम की यादों में,
दर्द भरी ग़ज़लों में भी मिलता है उनका सलूक।

कर्बला की शायरी हिंदी मै

कर्बला की शायरी हिंदी मै

 

करबला की धरती है यादों से सजी,
ज़िन्दगी के हर रास्ते पर रौनक जगी।
उनकी शान है मुहर्रम में बयां की जाने वाली,
क़त्ले हुसैन की वो ज़बां की ज़िंदगी।

उनकी यादों को जब ख्वाबों में देखते हैं,
दिल में उतर जाते हैं हज़ारों सवाल।
मुहर्रम के दिन सब याद करते हैं उन्हें,
हर वक़्त हैं वो हमारे दिल के करीब सवाल।

ख़ुदा के बाग़ीचे में बसा था विश्वास,
हुसैन का था जिगर सबसे नियाज़।
मुहर्रम के रंग में रंगते थे ज़माने,
दर्द भरी ग़ज़लों में भी मिलती है उनकी आवाज़।

वफ़ा की मिसाल थे हुसैन और अब्बास,
करबला की धरती में बस गई हैं वो ताज।
मुहर्रम के दिन जुबां से उतरते हैं शब्द,
उनकी याद में जुबां है बेहद अज़ाद।

दर्द के तूफ़ानी में भटक रहे थे हुसैन,
ख़त्म हो गयी थी उनकी दुनिया की जंग।
मुहर्रम के रंग में रंगते हैं ये दिल,
उनकी यादों में जो बेमिसाल हैं शेर-ए-करबला के अज़ंज।

कर्बला की धरती से आती हैं एक सदा,
अशुरा के दिन जश्न करते हैं ये जनता।
मुहर्रम के पवन मौसम में खिलती हैं यादें,
हुसैन के बलिदान को हम सबको याद दिलाते हैं।

आँसू बहाने से भी खुदा को पाना है,
ज़िंदगी को एक नया मक़सद पाना है।
मुहर्रम के दिन हर ज़ख़्म को याद करते हैं,
हुसैन के सूखे लबों पर मुस्कान बना पाना है।

बलिदानी राह में चलते हैं वीर ये,
करबला के मैदान में ढलते हैं वीर ये।
उनकी यादों को जब याद करते हैं हम,
दिल में ज़िंदगी की उजियार जलते हैं वीर ये।

हुसैन शायरी इन हिंदी

हुसैन शायरी इन हिंदी

 

शहीदों की शान पे हम हर बार गर्व करें,
ताज़ा गुलाब बन के हम खुद को सजाएं।
मुहर्रम के दिन उन्हें याद करते हैं हम,
जश्न-ए-आज़ादी के तराने गा कर रहे हम।

जिन्दगी का सफ़र हैं क़त्ल-ए-हुसैन,
दिल में जलता हैं जो इश्क़ का ज़हर।
मुहर्रम के दिन याद करते हैं हम,
उनके बलिदान को जिन्दगी का तरीक़ा बना लिया हमने।

जब दर्द की गहराइयों में डूब जाते हैं हम,
हुसैन की यादों में उलझ जाते हैं हम।
इस मुहर्रम पे आपसे यही गुजारिश है,
दुआओं में याद रखिए अपने वतन को हम।

जिस जंग में लड़े थे हुसैन वीराने के ख़ातिर,
उसे शहादत का ताज़ मिला अब़ुज़र।
मुहर्रम के रंग में रंगते हैं ये दिल,
उनके सूखे हुए लबों से सबको सच्चाई का सबूत मिला।

जब धरती पे गिरे थे आशिक़ाना आँसू,
उनके लबों से निकली थी वतन की सदा।
मुहर्रम के रंग में रंगते हैं हम,
हुसैन की यादों में जब खो जाते हैं हम।

जिन्दगी के सफ़र पर चलते हैं हम,
दिल में उनकी यादें संजोते हैं हम।
मुहर्रम के दिन धरती को रोमांचित करें,
हुसैन के बलिदान को सबको समझाते हैं हम।

जो बलि चढ़े थे करबला के मैदान में,
उनकी शान बढ़ती हैं हर मुहर्रम के दिन।
मुहर्रम के पवन मौसम में याद करते हैं हम,
हुसैन की यादों से हमारी रूह को सकून मिलते हैं हम।

Imam hussain shayari 2 line

Imam hussain shayari 2 line

 

जैसे चाँदनी रात में चमकती हैं चाँद,
उसी तरह बढ़ती हैं हुसैन की शान।
मुहर्रम के दिन याद करते हैं हम,
उनके बलिदान की वजह से हैं हम इस मुल्क के नागरिक गर्वित।

जिस राह पर जाते हैं वीर हुसैन के लाश,
उस राह में बहता हैं इमाम हुसैन का इल्म।
मुहर्रम के दिन दिल को स्पर्श करती हैं यादें,
उनकी शान को हर कोने से सराहते हैं हम।

जब ग़मों की घूंटी में बढ़ते हैं हम,
हुसैन के सवालों से रूबरू होते हैं हम।
मुहर्रम के दिन जब याद करते हैं हम,
उनके बलिदान को हम अपने दिल का सच्चा इश्क़ समझते हैं हम।

जिस धरती पर गिरे थे हुसैन के खून के बूँद,
उसका है बस वही सिसकी में ज़िंदगी की सूरत।
मुहर्रम के रंग में रंगते हैं हम,
उनकी यादों को सबसे प्रिय ज़ुबान बना रहते हैं हम।

वतन के इश्क़ में जलते हैं दिल इमाम हुसैन के,
करबला के मैदान में उनके साथ खड़े थे वीर ये।
मुहर्रम के दिन याद करते हैं हम,
उनके बलिदान के सबको सिखाते हैं हम भय का सामना कैसे करें।

जिन्दगी का सफ़र हैं क़त्ल-ए-हुसैन,
धरती की आवाज़ हैं वीर ये।
मुहर्रम के पवन मौसम में खिलते हैं यादें,
जिनका है सबको सबसे प्रिय तज।

जो बलि चढ़े थे करबला के मैदान में,
वो थे इमाम हुसैन के वीराने के ख़ातिर।
मुहर्रम के रंग में रंगते हैं हम,
जिनकी यादों को हैं दिल में बसाएं हम।

जब धरती पे गिरे थे आशिक़ाना आँसू,
तब थी ज़िंदगी की नायिका ये ज़मीन।
मुहर्रम के दिन दिल को हैं जलाते हुए हम,
वीर हुसैन के बलिदान की वजह से हैं हम यहाँ।

जिस तरह से बलिदानी राह में चले थे हुसैन,
उसका है बस वही इमाम के लिए इकरार।
मुहर्रम के पवन मौसम में खिलते हैं हम,
जिनकी यादों का है दिल में अलमारियां हमारी जगह।

मुहर्रम के रंग में रंगते हैं हम,
जब याद करते हैं वह वीर ये।
उनके बलिदान से हमने सीखा हैं,
दर्द के साथ अपनी ज़िंदगी को संवारते हैं हम।

Muharram status in hindi

Muharram status in hindi

 

जिन्हें हैं याद मुहर्रम के वो जश्नी,
हर साल उनके दिल की गहराई में डूबे हैं हम।
मुहर्रम के दिन वीर हुसैन के लिए धरती पर चलते हैं हम,
जिन्हें बना दिया हैं हमने अपनी ज़िंदगी के तराज़ू हम।

जिस मैदान में लड़े थे हुसैन के वीर,
वह बन गया हैं हमारे वीरों के लिए धरती का इतिहास।
मुहर्रम के पवन मौसम में खिलते हैं हम,
हर वक़्त उनकी यादों में भवरों सा घूमते हैं हम।

जिन्हें याद करते हैं हम मुहर्रम के दिन,
वो बन गए हैं हमारे दिल के करीब।
मुहर्रम के रंग में रंगते हैं हम,
उन्हें बख्शा हैं हमने अपनी ज़िंदगी में अल्फ़ाज़।

जब ख़ुदा ने दिया हुसैन को तख़्त-ए-शाही,
तब गई थी ज़मीं ख़ुदा के आगे हारी।
मुहर्रम के दिन वीर हुसैन के लिए जलते हैं हम,
उनके बलिदान को सबको समझाते हैं हम यहाँ की असलियत।

जिस तरह से बलिदानी राह में चले थे हुसैन,
उसका हैं वही सबको सच्चे इश्क़ का सबूत।
मुहर्रम के पवन मौसम में खिलते हैं हम,
उन्हें याद करते हैं हम इकरार के साथ।

जिस राह पर जाते हैं वीर हुसैन के लाश,
उसके सबसे ख़ास हैं हम वीर ये।
मुहर्रम के दिन हर ज़ख़्म को याद करते हैं हम,
वीर हुसैन के नाम से हमें हैं विश्वास हैं।

जिस मैदान में दिखाई थी जिस्म-ओ-जाँ की ख़ाक,
वहाँ बन गई थी दिल की हर दुआ हकीकत।
मुहर्रम के रंग में रंगते हैं हम,
जिस्म दे के सिर्फ हुसैन की जिंदगी बनाई हैं हमने।

जब वीर हुसैन ने लिया था अलविदा,
वो बन गई थी दिल के इमाम हमारे।
मुहर्रम के पवन मौसम में खिलते हैं हम,
जिसकी वजह से बन गए हैं हम धरती के नायक हमारे।

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