Life Bhagavad Gita Quotes In Hindi – सबसे पहले हम सब Shrimad Bhagavad Gita को प्रणाम करते है! क्यूंकि श्रीमद भगवद गीता से हम सब अपने जिंदगी के सारे प्रश्न समझने वाले है, और गीता सारे वेदों का सार है, जिन्होंने गीता बोली है, वो परमब्रह् भगवान द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण की चरणों में शत शत नमन करते है!
तो मैं आज आपके लिए श्रीमद भगवद गीता से प्रेरित होकर कुछ महत्वपूर्ण Bhagavad Gita Quotes Hindi में लेकर आया हूँ, जिसे पढ़ने के बाद आपकी जिंदगी में अवश्य कुछ बदलाव आ जाएगी!
आज से 5158 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण नें अर्जुन को कुरुक्षेत्र में
श्रीमद भगवद गीता सुनायी थी, क्यूंकि कहीं ना कहीं हम भी उसी अर्जुन की तरह कुरुक्षेत्र नामक युद्ध के मैदान में फंसे हुए है! इन श्लोक के माध्यम से मैं आप सभी को जीवन की वास्तविकता बताने का प्रयास किया हूँ! और आइये मेरे साथ प्रेम से बोलिए राधे राधे!
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः
Life Bhagavad Gita Quotes In Hindi.
भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 11
अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः॥
अर्थ :- श्रीभगवान् बोले-हे अर्जुन! तू न शोक करनेयोग्य
मनुष्योंके लिये शोक करता है,
और पण्डितोंके-से
वचनोंको कहता है; परंतु जिनके प्राण चले गये हैं,
उनके लिये और जिनके प्राण नहीं गये हैं,
उनके लिये भी पण्डितजन शोक नहीं करते!
भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 12
न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः।
नचैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम् ॥
अर्थ : – न तो ऐसा ही है कि मैं किसी कालमें नहीं था,
तु नहीं था अथवा ये राजलोग नहीं थे
और न ऐसा होगा कि इससे आगे हम सब नहीं रहेंगे!
भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 13
देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।
तथा देहान्तरप्राप्ति(रस्तत्र न मुह्यति ॥
अर्थ :- जैसे जीवात्माकी इस देहमें बालकपन, जवानी और
वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीरकी प्राप्ति होती
है, उस विषयमें धीर पुरुष मोहित नहीं होता!
भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 14
मात्रापास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।
आगमापायिनोऽनित्यास्तास्तितिक्षस्व भारत॥
अर्थ : हे कृतीपुत्र! सर्दी-गर्मी और सुख-दुःखको देनेवाले
ईद्रिय और विषयक योगा तो उत्पत्ति-विनाशशील और
अनित्य हैं, इसलिये है भारत उनको तू सहन कर!
Important bhagavad Gita Quotes In Hindi.
भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 17
अविनाशितुतद्विद्धियेन सर्वमिदं ततम्।
विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित्कतुमहति॥
अर्थ :- नाशरहित तो तू उसको जान,
जिससे यह सम्पूर्ण
जगत – दृश्यवर्ग व्याप्त है!
इस अविनाशीका विनाश करने में कोई भी समर्थ नहीं है!