Top 5 Bhagavad Gita Quotes In Hindi – सर्वप्रथम हम सब Shrimad Bhagavad Gita को प्रणाम करते है! क्यूंकि गीता से हम सब अपने जिंदगी के सारे प्रश्न समझने वाले है, और जिन्होंने गीता बोली है, वो परमब्रह् भगवान श्रीकृष्ण की चरणों में शत शत नमन करते है!
तो मैं आज आपके लिए श्रीमद भगवद गीता से प्रेरित होकर कुछ महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध Bhagavad Gita Quotes लेकर आया हूँ, जिसे पढ़ने के बाद आपकी जिंदगी में बदलाव अवश्य आ जाएगी!
आज से 5158 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण नें अर्जुन को कुरुक्षेत्र में श्रीमद भगवद गीता सुनायी थी, क्यूंकि कहीं ना कहीं हम भी उसी अर्जुन की तरह कुरुक्षेत्र नामक युद्ध के मैदान में फंसे हुए है! इन श्लोक के माध्यम से मैं आप सभी को जीवन की वास्तविकता बताने का प्रयास किया हूँ!
Top 5 Bhagavad Gita Quotes In Hindi
ईश्वर की एकता – भागवत गीता अध्याय 10 श्लोक 8
अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते |
इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विताः ।।
अर्थ : मैं समस्त सृष्टि का उद्म हूँ।
सभी वस्तुएँ मुझसे ही उत्पन्न होती हैं।
जो बुद्धिमान यह जान लेता है,
वह पूर्ण दृढ़ विश्वास और प्रेमा
भक्ति के साथ मेरी उपासना करता है।
सभी मनुष्यों के बीच समानता – भागवत गीता अध्याय 9 श्लोक 29
राज विद्या योग समोऽहं सर्वभूतेषु न
में द्वेष्योऽस्ति न प्रियः।
ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु
चाप्यहम् ॥
अर्थ :- मैं समभाव से सभी जीवों के साथ
व्यवहार करता हूँ
न तो मैं किसी के साथ द्वेष करता हूँ
और न ही पक्षपात करता हूँ
लेकिन जो भक्त मेरी प्रेममयी भक्ति करते हैं,
मैं उनके हृदय में
और वे मेरे हृदय में निवास करते हैं।
गीता समाज की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती है – भागवत गीता अध्याय- 9 श्लोक 30
अपि चेत्सुदुराचारो भजते मामनन्यभाक
साधुरेव स मन्तव्यः सम्यग्व्यवसितो हि
सः।।
अर्थ : यदि महापापी भी मेरी अनन्य भक्ति के
साथ मेरी उपासना में लीन रहते हैं
तब उन्हें साधु मानना चाहिए
क्योंकि वे अपने संकल्प में दृद रहते हैं।
अस्पृश्यता के बारे में गीता – भागवत गीता अध्याय – 5 श्लोक 18
विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि ।
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिता: समदर्शिनः ।।
अर्थ : सच्चे ज्ञानी महापुरुष एक ब्राह्मण, गाय, हाथी,
कुत्ते और चाण्डाल को अपने दिव्य ज्ञान के
चक्षुओं द्वारा समदृष्टि से देखते हैं।
Famous Bhagavad Gita Quotes In Hindi.
गीता का संदेश वैश्विक है और सांप्रदायिक नहीं – 4 श्लोक 7
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति
भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं
सृजाम्यहम् ॥
अर्थ : जब जब धरती पर धर्म का पतन
और अधर्म में वृद्धि होती है
तब उस समय मैं पृथ्वी पर अवतार लेता हूँ।