Popular Bhagavad Gita Quotes In Hindi – सबसे पहले हम सब Shrimad Bhagavad Gita को नतमस्तक करते है! क्यूंकि श्रीमद्भगवद्गीता से हम सब अपने जिंदगी के सारे प्रश्न समझने वाले है, क्यूंकि हम इंसान हमेशा सवालों में फंसा रहता है, और गीता सारे वेदों का सार है, जिसमें आपके सारे प्रश्न के उत्तर आपको मिलेंगे! जिन्होंने गीता बोली है, वो परमब्रह् भगवान श्रीकृष्ण की चरणों में शत शत नमन करते है!
तो मैं आज आपके लिए श्रीमद भगवद गीता से प्रेरित होकर कुछ फेमस तथा महत्वपूर्ण Bhagavad Gita Quotes Hindi में लेकर आया हूँ, जिसे पढ़ने के बाद आपकी जिंदगी में अवश्य बदलाव जाएगी!
आज से लगभग 5158 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण नें अर्जुन को कुरुक्षेत्र में श्रीमद भगवद गीता 44 मिनिट्स में सुनायी थी, क्यूंकि कहीं ना कहीं हम भी उसी अर्जुन की तरह कुरुक्षेत्र नामक युद्ध के मैदान में फंसे हुए है! इन श्लोक के माध्यम से मैं आप सभी को जीवन की वास्तविकता बताने का प्रयास किया हूँ! और आइये मेरे साथ ये महामंत्र का जाप कीजिए!
हरे कृष्ण हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे!
हरे राम हरे राम,
राम राम हरे हरे!
Popular Bhagavad Gita Quotes In Hindi.
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 19
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।उभी तो न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ॥
अर्थ :- इस आत्माको मारनेवाला समझता है,
तथा जो इसको मरा मानता है,
वे दोनों ही नहीं जानते;
क्योंकि यह आत्मा वास्तव में न,
तो किसीको मारता है और
न किसीके द्वारा मारा जाता है!
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 20
न जायते म्रियते वा कदाचि-
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे ।।
अर्थ :- यह आत्मा किसी कालमें भी न तो जन्मता है,
और न मरता ही है तथा
न यह उत्पन्न होकर फिर होनेवाला ही है;
क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है;
शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता!
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 21
वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्।
कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम।
अर्थ :- जो पुरुष इस आत्माको नाशरहित,
नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है,
वह पुरुष कैसे किसको मरवाता है
और कैसे किसको मारता है ?
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 22
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा-
न्यन्यानि संयाति नवानि देही।
अर्थ :- जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रोंको त्यागकर दूसरे नये
वस्त्रोंको ग्रहण करता है,
वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरोंको
त्यागकर दूसरे नये शरीरोंको प्राप्त होता है!
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 23
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
नचैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।
इस आत्माको शस्त्र नहीं काट सकते,
इसको आग नहीं जला सकती,
इसको जल नहीं गला सकता और
वायु नहीं सुखा सकता!